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मतदान हर मतदाता का नैतिक कर्तव्य ।

social welfare
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हमारा देश भारत एक लोकतांत्रिक देश है । एक लोकतांत्रिक देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है मतदान । मत व मतदाता दोनो एक ही सिक्के को दो अलग अलग पहलू है । मत के बिना मतदाता का कोई अस्तित्व नही ठीक एेसे ही मतदाता के बिना मत का कोई भी अस्तित्व नही है । हमारे समाज मे दो प्रकार की दृष्टि के लोग रहते है , एक तो वह जो कि मतदान के प्रति जागरूक है व मतदान के समय अपनी जागरूकता का परिचय बखूबी देते है । और एक वह लोग जिनके लिए चुनाव का ना तो कोई अस्तित्व होता है और न ही कोई जागरूकता , उनके लिए मतदान दिवस सिर्फ और सिर्फ एक सरकारी अवकाश से ज्यादा कुछ नही होता है । हमारे समाज के सभ्य व शिक्षित लोग अच्छी तरह से जानते है कि उनके मताधिकार मे कितनी शक्ति है, मताधिकार एक नागरिक की एेसी शक्ति है जिसके द्वारा वह देश के निर्माण मे अपना योगदान दे सकता है । किन्तु यदि इस बात पर विचार करे तो वर्तमान समय मे इंसान अपने दैनिक जीवन मे इतना अधिक व्यस्त हो गया है कि वह मतदान के अस्तित्व को अपने जीवन से समाप्त कर चुका है। एेसे ही व्यक्तियों के लिए जो कि मतदान के प्रति जागरूक नही है भारत सरकार तमाम तरह के जागरूकता अभियान चला रही है जो कि अपने अाप मे ही उल्लेखनीय है । चाहे बात सोशल मीडिया की करे या फिर समाचार पत्रों की सरकार हर उस मार्ग से जनता को मतदान के लिए जागरूक करने मे लगी हुई है , जो कि सरकार अपने माध्यम से कर सकती है । सरकार अपनी ओर से हर संभव प्रयास करने मे जुटी हुई है , लेकिन फिर भी यदि जनता आलस की चादर ओढ़कर के लेटी रहे तो इसमे फिर सरकार कुछ नही कर सकती । जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझने की आवश्यकता है । हमारा यूथ वर्ग तो लाइन मे लगकर वोट देना पड़ेगा इस कारण से वोट देने ही नहीं जाना चाहते है । जबकि युवा पीढ़ी को तो यह बात समझनी चाहिए कि उनके वोट का कितना ज्यादा महत्व है । मेरे अनुसार हर उस व्यक्ति को मतदान करना चाहिए जो कि मतदान हेतु योग्य है ।

प्रेषक. अमन सिंह (सोशल एक्टिविस्ट) बरेली
मो. 8265876348

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