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नोटबंदी के एक महीने बाद भी नही सुधरी अर्थव्यवस्था

social welfare
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बीते 8 नवंबर 2016 को भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी द्वारा पाँच सौ व एक हजार के नोटो को बन्द करने का फरमान जारी किया गया था , जिसके चलते कई लोगो को तो खुशी हुई लेकिन कई लोगो को नोटबंदी की इस खबर को सुनकर गहरा सदमा भी लगा। पुराने पाँच सौ व एक हजार के नोटो को अपने बैकं खाते मे जमा करने के लिए जनता के पास 30 दिसम्बर 2016 का समय अभी है। नोटबंदी को एक महीना हो चुका है यानि की तीस दिन हो चुके है लेकिन अभी तक हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था सुधरने का नाम तक नही ले रही है। बैंको की कतार कम होने की बजाय दिन ब दिन और बढ़ती नजर आ रही है। बीते कुछ दिनो से मौसम ने भी अपना मिजाज बदल दिया है। गरीब व मध्यमवर्गीय व्यक्ति सर्दी के इस मौसम मे भी चाहे दिन हो या रात दो हजार रूपये का एक नोट निकालने के लिए ए.टी.एम की लम्बी लम्बी कतारो मे खड़ा हुआ है। क्या यह सही है ? अभी तक क्या किसी ने किसी धनवान या प्रतिष्ठित व्यक्ति को ए.टी.एम की कतारो मे खड़ा देखा शायद नही । दिन ब दिन लोगो के पास से नई करेंसी का भारी मात्रा मे लोगो के पास से बरामद होने की खबरे सामने आ रही है। हाल ही मे गोवा मे दो युवको के पास से दो हजार के नए नोटो की 35 गड्डियाँ यानि कि 70 लाख रूपये बरामद होना कोई छोटी बात नही है। जहाँ एक ओर इंसान अपने मेहनत से कमाए हुए धन को निकालने के लिए लंबी लंबी कतारो मे दिन रात खड़ा है फिर भी उसे मात्र दो हजार रूपये का एक नोट मिल रहा है वही दूसरी ओर बड़े बड़े धनवान सेठ घर बैठे अपने लाखो करोड़ों रूपयो को काले से सफेद मे बदल रहे है वो भी सिर्फ बैकं कर्मचारियों के जरा से सहयोग से । एक ओर सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को नकदी रहित यानि कि कैशलैस होने की बात कह रही है , मै सरकार से यह पूछना चाहता हूँ कि कौन सा एेसा पान वाला है कौन सा एेसा सब्जी वाला है जो कि अपने खोखे या ठेलो पर कार्ड स्वाइप मशीन रखता है। सरकार भारत मे बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रही है लेकिन यदि सरकार उन ट्रेनो की संख्या मे वृद्धि कर दे जिनमे मुसाफिर जानवरो की तरह भरकर सफर करते है तो जनता को अत्यंत राहत मिलेगी।

प्रेषक. अमन सिंह (सोशल एक्टिविस्ट)
पता. 224 , रोहली टोला, पुराना शहर, बरेली (उत्तर प्रदेश) 243005
मो. 8265876348
ई.मेल. Mr.amansinghji@gmail.com

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