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हमारे समाज में कई प्रकार के लोग निवास करते हैं। जिनमे से यदि कुछ लोग अमीर होते है तो कुछ लोग गरीब भी होते हैै । ईश्वर ने तो हमे धरती पर मानव बनाकर ही भेजा था किन्तु ये अमीरी व गरीबी का दृष्टिकोण तो मानव ने स्वयं ही उत्पन्न किया है। आजकल के युग मे एक अमीर व्यक्ति और अधिक धन अर्जित करके और अधिक धनवान बनने की चाह रखता है। कई लोग गरीबी (निर्धनता) को एक अभिशाप के रूप मे मानते है। मेरे अनुसार निर्धनता किसी प्रकार का कोई अभिशाप नहीं बल्कि व्यक्ति की वह स्थिति है , जिसमे वह जीवन की अनिवार्यताओ से वंचित रह जाता है। कुछ लोग तो गरीबी को दुख का प्रतीक मानते है। आज के इस व्यस्त समाज मे आपको अधिकांश एेसे लोग मिलेंगे जो गरीबो के प्रति अच्छे व रोचक भाषण दे रहे होंगे लेकिन उन भाषणों पर अमल करने वाला व्यक्ति कोई भी नही होता है। आज जब गरीब वर्ग की बात आई है तो मैनै महात्मा गाँधी जी द्वारा कही गई एक बात पढ़ी थी कि ” गरीबी दैवीय अभिशाप नहीं बल्कि मानवीय संरचना है “। इस बात मे कोई भी दो राय नही है कि गरीबी की संरचना ईश्वर द्वारा नही बल्कि मनुष्यों द्वारा की गई है। आज भी हमारे समाज मे कुछ एेसे स्थान है जहाँ पर अमीर व्यक्ति पैर तक नही रखना चाहेंगे , तो जरा सोचिए कि सैकड़ों गरीब व्यक्ति वहाँ कैसे रहते होंगे ? मेरे अनुसार गरीबी वह स्थिति है , जो मनुष्य को इस कलयुगी संसार मे रह रहे मनुष्यों की भावनाओं को समझने में सहायता करे। हमारे समाज मे बहुत से लोग एेसे है जो गरीबो की सहायता तो बहुत दूर की बात है वह गरीबो को देखना तक नही चाहते है लेकिन गरीब व्यक्ति के लिए एेसा व्यवहार अमानवीय है। यदि किसी व्यक्ति के बुरे समय मे हम उसकी सहायता करके उसके बुरे समय को अच्छे समय मे परिवर्तित कर दे , तो शायद इससे ज्यादा पुण्य की बात और कुछ भी नहीं होगी। लोग पुण्य प्राप्ति हेतु सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर तीर्थ स्थानो पर जाते है एेसा करने मे उनका एकमात्र उद्देश्य पुण्य की प्राप्ति करना होता है लेकिन जहाँ तक मै सोचता हूँ यदि वह व्यक्ति किसी गरीब व असहाय व्यक्ति की सहायता करे तो ईश्वर उस व्यक्ति को घर बैठे ही अत्यधिक पुण्य प्रदान करेगा। गरीब व्यक्ति के प्रति सहानुभूति रखना व उसे प्रकट करना कोई गलत बात नही है।
प्रेषक. अमन सिंह (सोशल एक्टिविस्ट)
पता. 224, रोहली टोला , पुराना शहर, बरेली (उत्तर प्रदेश) 243005
मो. 8265876348
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